मैं उंगलियों की पोरों से देख देख कर पढ़ती रही मैं उंगलियों की पोरों से देख देख कर पढ़ती रही
फिर वो दिन आया जब, पीड़ा के आँचल से निकल मैंने गुनगुना सा एहसास तुम्हारा अपनी बांहों में फिर वो दिन आया जब, पीड़ा के आँचल से निकल मैंने गुनगुना सा एहसास तुम्हारा अपनी बा...