टूटा सिरा सच की धूप और समय का पानी पा कर एक नई कोपल उगाता है । टूटा सिरा सच की धूप और समय का पानी पा कर एक नई कोपल उगाता है ।
चारों ओर छा गया बसंत चारों ओर छा गया बसंत
श्वेत कणों से भरा चेहरा लिए मैंने सपनों की बंजर ज़मीन को मुलायम करना शुरू किया श्वेत कणों से भरा चेहरा लिए मैंने सपनों की बंजर ज़मीन को मुलायम करना शुरू ...
ना कोई हर्ष ना उल्लास, ना आशा की कोई कोपल फूटती, ना तुम्हारे आश्रय में कोई घरौंदा पनपता, और फलने फूल... ना कोई हर्ष ना उल्लास, ना आशा की कोई कोपल फूटती, ना तुम्हारे आश्रय में कोई घरौंद...
कोपल से फटी फूलों की रंगीन चादर तब लगा कि बसंत आया निज द्वार कोपल से फटी फूलों की रंगीन चादर तब लगा कि बसंत आया निज द्वार
हवा चली ऐसी मतवाली लहरा जाए डाली डाली हवा चली ऐसी मतवाली लहरा जाए डाली डाली