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Rashmi Prabha

Others

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Rashmi Prabha

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नई कोपलों के निशां

नई कोपलों के निशां

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कल सारी रात

दर्द से निर्विकार

(जाने किसका दर्द था) ! जागती रही

दर्द था या बेचैनी

पता नहीं

जो भी हो

उस दर्द को चकमा देकर

मैंने कुछ खरीदारी की !


सपनों के बंजर खेत ख़रीदे

(बंजर थे तो कीमत कम लगी )

सौदा मेरे पास

संचित रकम के अनुसार हुआ!

प्यार के ऐतिहासिक बीज भी

सस्ती कीमत में मिले

सुबह की किरणों के स्टॉल पर

सूरज ने मुझे ख़ास खाद दिया

बादलों ने अपनी दुकान में

पर्याप्त जल देने का एग्रीमेंट साईन किया

चिड़ियों ने भी अपने काउंटर से

चहचहाकर कहा

'हम तो आयेंगे ही

हमारी लुप्त प्रजातियाँ भी आएँगी'


श्वेत कणों से भरा चेहरा लिए

मैंने सपनों की बंजर ज़मीन को

मुलायम करना शुरू किया

तो मेरे साथ चलते अनजाने हमसफ़र ने कहा

'और मैं तो हूँ ही '

सुनते ही

विश्वास से भरी हवाएँ चलने लगीं

अपनी जीत का यकीन लिए मैंने -

एडवर्ड - सिम्सन

अमृता- इमरोज़

हीर- राँझा

सोहणी - महिवाल जैसे

उत्कृष्ट बीज लगाए ...

कौन कहता है, निशान खो जाते हैं


नई कोपलों के निशान फिर कल को दुहराएंगे



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