माता राजमोहिनी देवी (फरवरी 1)
माता राजमोहिनी देवी (फरवरी 1)
माता राजमोहिनी सरगुजा के शान
जन्म हुआ सरसेड़ा शारदापुर में
वर्तमान में कहलाता है ये
वाड्रफ नगर स्थान
बचपन का नाम था राजो
विवाह बाद राजमोहिनी कहलाई
मद्यपान, अंधविश्वास रूढ़िवाद
समस्याएँ थी विकराल
देख देखकर ह्रदय द्रवित
नारी उत्पीड़न पीड़ा देख
त्याग दिया गृहस्थ जीवन को
राजमोहिनी तीन दिन तक
बैठी रही ध्यानमग्न वहाँ
जो भी प्रवचन सुनता
उनका मन हो जाता शांत
तब सरगुजा वासियों को
दिया नई दिशा नया संकल्प
धर्म और शांति की बातें करती
शराबबंदी के लिए आह्वान
नारी शक्ति को किया
अच्छी शिक्षा के लिए
ग्रामीणों को समझाने लगी
शराब पीने वालों को
अहिंसात्मक समझाइश दिया
किसानों को भी यह बताया
जंगल जमीन पर हक उनका है
उत्कृष्ट सेवा के लिए
इंदिरा गांधी पुरस्कार मिला
महामहिम राष्ट्रपति ने
पद्म श्री से
सम्मानित किया
6 जनवरी सन 1994
आया काल बनकर
यहां लंबी बीमारी के साथ
काया भी
छोड़ चला साथ
उनका कहना था ये
त्याग, तपस्या का
दूसरा नाम ही धर्म है
शत-शत नमन
माता राजमोहिनी देवी
सपना का है आपको प्रणाम !