STORYMIRROR

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics Fantasy Inspirational

4  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics Fantasy Inspirational

वसीला तेरे यार दा

वसीला तेरे यार दा

1 min
221

आप के मिलने का होगा जिसे अरमाँ होगा'

वस्ल की रात आज यकीनन वो मेहमा होगा 

मरदुये बस्ती में जो लोग जला कर रखते हैं चिरागों को 

उनके खातिर ये मेह्ताब तो एक अजुबा होगा 


रौशनी से बच निकलतीं हैं रौशनियाँ महफिल की क्युं 

शायर न देखले कोई इस बात का डर भी अक्सा होगा 

हम तो आशिक हैं इनके और गुनहगार भी हैं यारों 

वादा खिलाफ़त का गाहे बगाहे कोई तो जुल्म हुआ ही होगा 


तजकिरा किजिये मशबिरा न किजिये साहिब गोया 

दिल के हाथों से वो मासूम हो के मजबूर बहुत रोया होगा 

एक अबोध बालक ने तोड़ दी थी रस्में सारी 

ये बात पक्की है किसी दबाब में ये गुनाह किया होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics