वो सच्चा फरेबी
वो सच्चा फरेबी
ख़ुद को ख़ुद से वो रूबरू करा कर गया
रूह से वो मुकम्मल रिश्ता बना कर गया
सिखाया था उसी ने दिल को प्यार करना
उसी दिल में वो हजारों गम सजा कर गया
न जाने की थी उसने सच्ची मोहब्बत हमसे
या फ़िर झूठे अल्फ़ाज़ों में उलझा कर गया
अंततः विषैला ह्रदय घात दिया धोखा उसने
वो सच्चा फरेबी बन नफ़रत जता कर गया ।
