विजयतिलक उसी का है, जो बढे स्वार्थ त्याग कर ||अंतर्मन में जो तू ज्ञानदीप जगा सके |प्रकाश मन में वो क... विजयतिलक उसी का है, जो बढे स्वार्थ त्याग कर ||अंतर्मन में जो तू ज्ञानदीप जगा सके...
चांद सितारों से रोशन है ,यह जग सारा! घर किसी का हो अंधेरा, तो फिर रोशनी बेकार है!!! चांद सितारों से रोशन है ,यह जग सारा! घर किसी का हो अंधेरा, तो फिर रोशनी बेकार...
अच्छाई इसमें कुछ नहीं यूँ फँस के रोओगे छोड़ो इसे अब भी सही , क्यों स्वार्थ चुनते हो ?....... अच्छाई इसमें कुछ नहीं यूँ फँस के रोओगे छोड़ो इसे अब भी सही , क्यों स्वार्थ चुनते ...
ख़ुद को ख़ुद से वो रूबरू करा कर गया रूह से वो मुकम्मल रिश्ता बना कर गया । ख़ुद को ख़ुद से वो रूबरू करा कर गया रूह से वो मुकम्मल रिश्ता बना कर गया ।