वो पल
वो पल


घण्टों तेरा इंतज़ार करके जब मैं सो जाता था,
आधी रात एक "मिस कॉल" से जगा देती थी।
कितनी ही दफा मैं खफा हो जाता था,
तुम चुंबन की रिश्वत देकर मना लेती थी।
शिकवे तो बहुत रहते थे तुमसे,
पर तू आलिंगन कर सब भुला देती थी।
मुझे सताने में तुझे बड़ा मजा आता ,
क्योंकि हर हाल में तुम मना लेती थी।
वो सतरंगी पल कभी बदरंग नहीं हुए,
तू किस तरह मुझे खुद में समा लेती थी।