वो ख़त
वो ख़त
तुम्हारे प्यार की तस्दीक़
करते वो ख़त जब मैने
खोली अलमारी में रखी
अपनी डायरी में रखे ख़त
वो प्यार से लबरेज़ खत
मुझे आज भी फिर से
वहीं चालीस साल पीछे
अतीत की तुम्हारी
प्रेयसी बन फिर से
जीने लगती हूँ वो पल
जब पाती थी तुम्हारे
वो ख़त अब भी वहीं
प्यार है हम दोनों में
आज भी तुम कुछ भी
मुझसे कहना चाहते हो
प्यारे गानों से कह देते हो
वो ख़त मेरे लिए अनमोल
ख़ज़ाना है

