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Hariom Kumar

Romance

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Hariom Kumar

Romance

वो खत तुम्हारे नाम का

वो खत तुम्हारे नाम का

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वो खत तुम्हारे नाम का ,जो लिखा मगर भेजा नहीं,

वो खत मैं अक्सर आज भी तन्हाई में पढ़ लेता हूं,


तेरी यादों की चादर तले इक बार फिर सो लेता हूं,

हां भूला चूका हूं तुझे मगर, फिर याद मैं कर लेता हूं,


ख्यालों में तुझसे मिलता हूं, इक टक तुझी को देखकर,

मैं हाल-ए-दिल अपना तुझे जो भी है सब कह लेता हूं,


अरमान दिल के थें ,जो हैं, जो न कह सका तुझे कभी,

खामोश लब से अपने मैं तुझे ख्वाबों में कह लेता हूं,

वो खत तुम्हारे नाम का।


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