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आकिब जावेद

Romance

5.0  

आकिब जावेद

Romance

वो एक कप प्याली

वो एक कप प्याली

1 min
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गाहे बेगाहे मैं मुस्कुराता हूँ

अपने सारे ग़म भूल जाता हूँ

सब की पहली सुबह याद करता हूँ

रात की चांदनी में याद करता हूँ

चाहे मौसम की हो पहली बरसात

वो एक कप प्याली के साथ याद करता हूँ

सर्दी की कड़कती ठंडक में याद करता हूँ

चाहे पतझड़ हो या कि बसंत बहार

हर मौसम में तुझको याद करता हूँ

तू भूल गयी है मुझको, पता है लेकिन

अपने दिल की हर धड़कन से याद करता हूँ

सोचता हूँ मैं तेरी याद में हूँ कि नही, फिर भी

लेकिन मैं अपने मन मस्जिद से तुझको याद करता हूँ

होता हूँ मै कहीं भी, कभी भी, किसी भी वक़्त

हर वक़्त हर लम्हा हर क्षण सिर्फ तुझको याद करता हूँ

ख़ुदा के साथ शामिल करना तुझे, शिक्र है लेकिन

मैं अपनी हर नमाज में ख़ुदा के साथ याद करता हूँ

गाहे बेगाहे मैं मुस्कुराता हूँ

अपने सारे ग़म भूल जाता हूँ

सब की पहली सुबह याद करता हूँ

रात की चांदनी में याद करता हूँ


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