वो आ रही है
वो आ रही है
वो आ रही है
मस्त बहारों संग
मन में उठ रहे हैं
हज़ारों तरंग
वो पवन के खुशबू में
वो जीवन के हर जुस्तजू में
अंधेरी रात और दिन में भी वो
मन के आभास और यकीन में वो
वो आ रही है
हमारी इन्तजार में
नहीं किनारे कछार में
दुल्हन सी सजी ख्वाब में
हमदर्दी के हर नकाब में
हर अंग में अंतरंग में
अपने मन की हर प्रसंग में
हर पसंद में हर चाह में
जीवन के हर निर्वाह में
क्या करूं की हर आलम
में वो समा रहीं है
वो आ रही है
वो आ रही है।