STORYMIRROR

Gajanan Pandey

Fantasy

2  

Gajanan Pandey

Fantasy

वंदना

वंदना

1 min
233

हे दीनों के नाथ

पालनहार तुम्हीं हो उनके।

शीत,ग्रीष्म, वर्षा में

घनघोर अंधेरे में

भीतर व बाहर के तम से

त्राण दिलाओ

हे ! परमेश्वर

न कोई हो भूखा - नंगा

घोर दरिद्रता का जीवन

कोई क्यों जिए ?

हे ईश्वर !

दो सबको आस व साहस

काट हर बंधन को

सब सुख पाएं, इस जीवन में।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy