वंदन
वंदन
वंदन करती हूँ आज मैं,
उन कर्मवीरों को,
भूल आज निज दुःख सुख,
चले कर्तव्य राह को,
ऐसे हैं वो युग सेनानी ,
दूजे के लिए जो जीते हैं,
त्याग अपनी निद्रा जो,
औरों के हित के लिए जीते हैं,
कोई नहीं चाहत हैं उनकी,
बस चाहत जन जन सेवा की,
गला मिटा कर खुद को देखो,
देवदूत बन आये है,
चाहे कितने भी शूल पथ पर,
पर न वो घबराये हैं,
कर्तव्य पथ के वो सब राही,
जन जन के वो रक्षक हैं,
ऐसे मतवाले देवदूत पर,
हम सब तो नतमस्तक है,
चलो आज हम सबको भी,
करना कुछ भुगतान है,
इस वसुधा का हम सब पर
बहुत बहुत अहसान हैं,
आज चुकाना कुछ कर्ज हमें,
इस प्यारी सी वसुधा का,
और कहाँ फिर आएगा अवसर,
दीन दुखियों के सेवा का,
याद दिलाती आज ये वसुधा,
बस सेवा में ही जीना हैं,
आओ करे सलाम हम सब,
उन अग्रिम सेवादारों का,
कर्ज चुकाना हम सबको भी,
उन प्यारे नातेदारों का,
हर शब्द आज लिखे,
प्रशंसा के शब्द उन्हें,
बन सशक्त स्तंभ हम भी,
संग उनके आज चले,
मिल हम सब आज,
हर कष्ट दूर भगाएंगे,
बन वीर सैनानी जब,
विपदा से टकराएंगे,
जीत जाएंगे हम सभी,
मिल इस विपदा की जंग को,
संकल्प संग जो उठे,
मिल संग सब जो।।