वक्त
वक्त
वक्त आते जाते रहते
अपनी पहचान बताते रहते
प्रफुल्ल जैसे इंसान के ईमान
के जज्बे के गजल गुनगुनाते रहते।।
फिर आगे बढ़ इंतज़ार में
कोई प्रफुल्ल आये उनको
रौशनी दिखाए जमाना जिसे
अपने दामन में समेटे उसके दिल
की आवाज़ के नगमे गुनगुनाते।।
वक्त आते जाते रहते
अपनी पहचान बताते रहते
प्रफुल्ल जैसे इंसान के ईमान
के जज्बे के गजल गुनगुनाते रहते।।
फिर आगे बढ़ इंतज़ार में
कोई प्रफुल्ल आये उनको
रौशनी दिखाए जमाना जिसे
अपने दामन में समेटे उसके दिल
की आवाज़ के नगमे गुनगुनाते।।