वक्त का तकाजा
वक्त का तकाजा
वक्त का तक़ाज़ा है,
और ख़्वाहिशों की आंधी है।
सुख और दुख को सहेजा है,
रिश्तों की पोटली बांधी है।
खट्टे-मीठे नातों से ही,
घर-आंगन मुस्काता है।
नोक-झोंक से गूंजे हरदम
सन्नाटा नहीं भाता है।
कनक समान है साथ सभी का,
पावन जैसे चांदी है।
सुख और दुख को सहेजा है
रिश्तों की पोटली बांधी है।
