विवाह
विवाह
विवाह एक अनुपम गठबन्धन है
सोलह संस्कारों में एक अनुबंधन है
एक-दूजे का थाम हाथ आगे बढ़ते हैं
बन हमसफर नवजीवन पीढी गढ़ते हैं
सप्तपदी की ले प्रतिज्ञा जीवन रचते हैं
ले सात फेरे संग पिया के जग सृजते हैं
ये रिश्ता प्यार है जिम्मेदारी मनुहार का
समझौते, संघर्ष, प्रेम-समर्पण भाव का
ये नाता दो का ही नहीं, दो परिवार का
मैं को कर तिरोहित हम के संस्कार का
मेरा तेरा का भाव छोड़ नवअध्याय का
सेवा, त्याग, अहसास, अभिप्राय का
दो आत्मा के मिलन का महासंगम है
हम सब आशीष दे, करते अभिनन्दन हैं।