Dimpy Goyal

Abstract

4.6  

Dimpy Goyal

Abstract

विश्वास और हौसला

विश्वास और हौसला

1 min
552


इरादों में जो मज़बूती हो,

हर नामुमकिन घट सकता है 

जलती आग निचुड सकती है 

बहता पानी कट सकता है 


कर्मठ की छोटी मुट्ठी में 

पूरा ब्रह्माण्ड समा सकता है 

हिम्मत से जो मारो पत्थर 

आसमान तक फट सकता है 


मेहनत का जो लगे पसीना 

मरू में बागवान खिल सकता है 

प्यास ज्ञान की बढ़ जाए तो

अथाह समन्दर गट सकता है 


विश्वास भरे चेहरे की लौ में 

सूरज मद्धम लग सकता है 

कोशिश में जो दृढ़ता हो तो 

भाग्य लिखा पलट सकता है


इरादों में जो गर्मी हो तो 

पारा तक पिघल सकता है 

सोच जो रोशन हो जाए तो 

रात का कालिख छट सकता है 


दूरदर्शी के विचार वेग में 

गरुड भी धीमा पड़ सकता है 

हौसलों की जो बड़े ऊँचाई 

हिमालय का क़द घट सकता है 


मन को थोड़ा स्थिर कर लो तो 

समय का पहिया रुक सकता है 

जमे हुए कैलाश शिखर पे 

योगी कोई डट सकता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract