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Poonam Kaparwan

Romance

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Poonam Kaparwan

Romance

विरहन प्रेयसी

विरहन प्रेयसी

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प्रिय प्राण प्यारे,

परदेश जाईकै

काहे बिसराऐ गये मोहे,

तड़फत हूँभयी मै विरहन

कबहुँ आओगे सैय्या मोरे


निदियां बिसराई रतियन की

तुम क्या जानो पीर मोरे तन की

जानत हो बंसत आयो भरपूर

पीरी पीरी सरसों देखकर

उठ जिया में पीर


फोटू देखत तिहारी

भूल गई सूरत तिहारी

राह ताकतीं हूँ प्रियतम


बेल बन लिपट जाऊँगी तुम पर

काम की रति बन कर

शान्त कर दूँगी

एक बार आ जाओ

जाने न दूंगी बलमुआ


आवेदन नहीं एक आग्रह है

अंत में आपकी

प्रिय पत्नी।


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