पीली सरसों
पीली सरसों
बगियन की हरियाली
चहक रही है चहुँ ओर,
दमक रही थी मेरी बगियन
लहरा लहरा कर चहुँ ओर,
सूरजमुखी मुस्काराहट दे रहा था,
हमने पूछा क्या है जो मुसकुरा रहे हो?
बोला मैं पीला, सूरज पीला
तन मन खिलता मन मयूर,
जहाँ प्रेम मिला मुड़ जाऊँ उस ओर।
खेतों की पीली सरसों महक रही थी
हमने पूछा क्यों खुश होकर नाच रही हो?
बोली सरसो बंसत रंग देता मुझे,
खिल जाती मैं बन कर मयूरी।
खेतों में जौ की बाले ठुमक ठुमक नाच रहा था,
हमने पूछा कयों हरे भरे हो?
हंसकर बोले होली आगमन है,
पूजा जाऊँगा होलिका दहन में,
और बाँटा जाऊँगा खुशहाली देकर।
मैं पड़ गई सोच में,
कितनी सुन्दर धरा हमारी
बिना स्वार्थ देती हरियाली,
मानव सम्भालो अपनी माँ को
न खेत बचेंगे न सरसो और न जौ।
