संकल्प
संकल्प
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एक गलती कर बैठी
गृह कलेश में विषपान किया था,
उस समय चाहत जीने की थी,? क्यों अभिमान किया
खुद पर अहम था शायद मुझमें,
सब चकनाचूर हुआ लड़ रही थी यमराज से।
नव जीवन जीवन पाऊंगी,
कोख में थे तुम मेरे
धरती पर तुम्हें लाऊँगी
शायद ईश्वर बड़ा कारसाज निकला,
देकर नव कमल संग जीवन दिया
नव अंकुर थे मेरे ,एक साल में जनम दिया,
किलकारियों से घर भरकर
उस भूल का सुधार किया,
जीवन मिलता एक बार संकल्प है मेरा खुद से
गलत कदम न उठाऊंगी
परिवार की खुशियों में रंग दे जाऊँगी ।
