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Poonam Kaparwan

Abstract

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Poonam Kaparwan

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प्रकृति का नवरुप

प्रकृति का नवरुप

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कितना मनोरम स्वच्छंद

प्राकट्य अदभुत स्वरूप।


जीव जन्तुओं के प्रेम का रूप

करते आंलिगन और नवजीवन

शिशुओं का उत्पन्न

तितलियां झिगुंरों का

प्रेम वंदन !


कोयल देती अपने शिशुओं को

काक को करके नव स्पंदन,


चली जाती छोड़कर नवीनता के अण्डे

काक के घर धरकर,

आम्र की बौरे आने पर कूकती

और राग सुनाती मनोहर।


बत्तख बगुले और जलचर

करके प्रेम पीग बढ़ाकर

हो जाते प्रफुल्ल मन बंसत,

आगमन का करते स्वागत।


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