वो बंसत फिर से आया है
वो बंसत फिर से आया है
वो बंसत फिर से आया है
मन में उमंग भर लाया है,
तन मन मेरा पुलकित
भीग रह अंग अंग,
अधरों का रस है लबालब
अपने गीले बालों को लहराया है
आ जाओ सारे बंधन तोड़कर
मन प्रफुल्ल हो आया है
प्रेम सुराही भर भर लाया है।
वो बंसत फिर से आया है
मन में उमंग भर लाया है,
तन मन मेरा पुलकित
भीग रह अंग अंग,
अधरों का रस है लबालब
अपने गीले बालों को लहराया है
आ जाओ सारे बंधन तोड़कर
मन प्रफुल्ल हो आया है
प्रेम सुराही भर भर लाया है।