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Manoj Godar

Tragedy Others

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Manoj Godar

Tragedy Others

विरहा सन्देश

विरहा सन्देश

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कोयल कुको ना मेरे द्वार पे, मोरे पिया गए परदेश।

आवन कह गए अजहुँ ना आये ना भेजो कोई सन्देश ।

 

मैं बिरहा की मारी निशदिन गिन गिन दिवस गुजारूं।

दिन नहीं चैन रात नहीं निंदिया उनकी राह निहारूं।

खो बैठी हूँ सुधि तन मन की, उलझ गए मोरे केश 

कोयल कुको ना मेरे द्वार पे, मोरे पिया गए परदेश।


पिया की सूरत देखे बिना मेरी, पथरा गयीं हैं अँखियाँ।

हालत देख हसत मोपे दुनिया, ताने मारें सखियाँ ।

हंसी ठीठन की उम्र में मैंने, ओढ़ो विरहा भेष।

कोयल कुको ना मेरे द्वार पे, मोरे पिया गए परदेश।


सुन पुरवैय्या बन जा तू ही, मुझ दुखिया की साथी।

मेरे तन मन की लिख दे आ पी को प्रेम की पाती।

कहना मुझ दासी को कैसे भूले मेरे प्राणेश

कोयल कुको ना मेरे द्वार पे, मोरे पिया गए परदेश।


 कोई तो ला दे मुझको मेरे पिया की खैर खबरिया।

बन गयी राधा में वियोग में खो गया कहाँ कनहैया।

सुख गयी मेरी काया सबरी प्राण ही रह गए शेष 

कोयल कुको ना मेरे द्वार पे, मोरे पिया गए परदेश।


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