विचार प्रवाह
विचार प्रवाह
जिसका जैसा होता,विचारों का प्रवाह
वैसी ही होती,उनकी दरिया बीच राह
जो रखते भीतर सकारात्मकता प्रवाह
वो अमावस अंधेरे में दीप जलाते वाह
गर हमारे विचारों का गलत हुआ,प्रवाह
फिर कभी न मिलेगी,हमे मंजिल की राह
जो भीतर रखते है,दूसरों के प्रति डाह
बिना अग्नि के ही होता,उनका नित दाह
सकारात्मक व्यक्ति के पास,तू रह सदा
इस निराश मन को मिलेगी शक्ति,अथाह
जो सोचते बुराई,कर न सकते अच्छाई
जिसके जैसे विचार,वो चलता उसी राह
गंदा जल जैसे बुझा,न सकता कभी प्यास
वैसे गलत विचार करते नही कभी विकास
उन लोगो को भी मिलती है,अंत मे आह
जो गलत का समर्थन करते है,ख़ामोखाह
गलत विचार प्रवाह भी बहुत बड़ा,गुनाह
यह भी कातिल बहुत बड़े,घर करते,तबाह
जग एक दिन बनेगा, तेरी सोच का गवाह
लिखता रह नित साखी, सत्य विचार यहां।