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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

वह एक पल की चूक

वह एक पल की चूक

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344

जीवन 

कुछ कुछ 

एक आंच पर 

पतीली में खौलने के लिए रखे हुए 

दूध की तरह है 

जरा सी आंख चूकी नहीं कि 

दूध बर्तन से बाहर निकलकर 

चारों तरफ फैल जाता है 

जब सबकुछ अनचाहा घटित हो 

जाता है तो 

हम मन ही मन बुदबुदाते हैं 

खुद को कोसते हैं कि 

थोड़ी सी नजर न हटाती 

आंच पर से बर्तन को समय 

रहते हटा देती तो 

इतना काम बिना बात के 

यूं तो न बढ़ता 

बना बनाया काम यूं तो न बिगड़ता 

लेकिन वह एक पल की चूक तो 

कई बार किसी का पूरा जीवन ही 

बदल कर रख देती है 

कई बार हम जानबूझकर या 

जाने अनजाने गलती कर 

बैठते हैं 

उसका खामियाजा भी 

फिर भुगतते हैं पर 

समय रहते नहीं मानते 

कई बार कुछ घटनायें

हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं 

हम दूसरों की गलतियों के 

शिकार भी बनते हैं 

यह हमारी बदकिस्मती और 

हमारे जीवन की बहुत बड़ी 

अनचाही दुर्घटनायें होती हैं

कई बार हमारे निर्णय 

गलत होते हैं या 

हम कई बार दूसरों के 

अधीन भी होते हैं 

मुझे तो जीवन रहते 

हमेशा ही यह अफसोस रहेगा कि 

मैंने अक्सर ही 

अपने परिवार को 

अपना समझा और 

हर किसी पर 

खुद से भी अधिक 

भरोसा किया 

उसका नतीजा 

कई बार 

घर परिवार में 

अपनों की अनदेखी,

उनकी उचित देखभाल का न 

होना और 

उनकी असमय मृत्यु 

दूसरों पर निर्भर रहना 

उनकी तरफ एक उम्मीद भरी 

नजरों से ताकते रहना कि

वह उठकर हर समस्या का 

समाधान कर देंगे 

हर मुसीबत में 

कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे 

तुम उन्हें पुकारोगे और 

वह हमेशा ही तुम्हें 

प्रति उत्तर देंगे 

तुम्हारा सहयोग करेंगे 

तुम्हारा समर्थन करेंगे 

ऐसा नहीं होगा 

यह समय रहते 

समझना था 

और इस भ्रम के भंवर से 

बाहर निकलना था 

किसी को प्यार करना 

अच्छी बात है 

सपनों की दुनिया में जीना 

और भी अच्छी बात है 

लेकिन 

समय की बदलती परिभाषाओं

का 

समय समय पर 

मूल्यांकन करके 

उनके साथ समायोजन 

करके 

यथार्थ के धरातल पर 

सच्चाई के बिखरे पड़े 

सच्चे मोतियों की तलाश भी 

कई बार आवश्यक हो 

जाती है।


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