वेदना
वेदना
तीव्र बहुत है वेदना प्रिय,
सह नहीं अब पाएंगे,
तुम्ही कहो,
पर इस जीवन से
कैसे नयन चुराएंगे,
गर विरह में प्राण तजना,
संभव होता, अल्प दुष्कर होता,
प्रतिदिन मरण से इस जीवन को,
कैसे व्यतीत कर पाएंगे......
अब संभव नहीं प्रिये ,
ये दिखावा ढोंग करना,
दर्द हृदय में दबाकर,
मुस्कुराकर संवाद करना
भाव प्रतिबिंबित होंगे ही,
दर्द वदन में स्पष्ट होंगे,
अब तुम्हारे सामने हम,
अनमने, पीड़ित से होंगे...
चाहते क्षमा है तुमसे,
वेदना से टूट गए,
जो राह चुनी थी स्वयं हमने,
चलते एकाकी घबरा गए......
तीव्र बहुत है वेदना प्रिय
सह नहीं अब पाएंगे।