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Anumeha Rao

Tragedy

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Anumeha Rao

Tragedy

वैदेही: मेरी कहानी

वैदेही: मेरी कहानी

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नौ महीने तेरी कोख में पली,

फिर आते ही इस दुनिया में,

क्यूं डराया मुझको मां,

नन्हीं सी जान थी मै,

क्या बिगाड़ा था किसी का मां,

टूट पड़े थे दरिंदे मुझ पर,

उबलते दूध में डालने,

पिता भी कुछ ना बोले,

तेरी ममता के सामने,

रो रो का बिलख रही थी,

फिर बचाया भगवान ने!

हुई बड़ी थोड़ी तो,

माना गया बोझ मुझे,

"हो जाती तू बांझ" कोसा गया है तुझे,

आखिर मै भी तो इंसान थी,

घर में आई मेहमान थी,

छे साल की हुईं,

बाल विवाह कराने चली,

पढ़ने लिखने की उमर में,

मुझको विदा कर गई,

दहेज की आग में,

जल रही हूं रोज़ मैं,

क्या पाप किया है,

सोच रही हूं आज मैं,

क्यूं घोटा है गला तुमने,

सपनो का मेरे जीवन भर,

औरत तब तक अबला है,

जब तक वो एक नारी है,

बन जाए मां,

तो वो काली है,

लड़ जाती मेरे लिए,

तो ना देखती मै ये दिन,

तेरे भी सपने पूरे करती,

बेटी तेरी रात दिन,

ना बैठूंगी चुप मै अब,

लड़ूंगी अपनी गुड़िया के लिए,

सहा जो मैंने वो,

ना सहेगी मेरी परी,

गुरूर है वो मेरा,

बनेगी वो बहुत बड़ी।



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