वास्ता तुम्हे अधूरे इश्क़ का
वास्ता तुम्हे अधूरे इश्क़ का
अब चांदनी भी लौट चली,
चाँद की पनाहों में।
शाम भी कैद हो चली है,
रात की बाहों में।।
वास्ता तुम्हे अधूरे इश्क़ का,
की लौट आओ ना।
कलेजा फट जाएगा,
तुम्हे देख गैरो की बाहों में।।
