कहो संग मेरे चल पाओगी क्या ?
कहो संग मेरे चल पाओगी क्या ?
मैं जब तन्हा चल रहा होऊंगा धूप में,
कहो संग मेरे चल पाओगी क्या ?
मेरा गुजरना होगा कांटो की राह से,
मेरा दर्द बांटकर सह पाओगी क्या ?
मैं ख्वाब नही दिखाता तुमको,
पर हाँ तुम्हारे ख्वाबों को सच करूँगा मैं।
मुझे कभी दूर जाना पड़ेगा तुमसे,
पर हाँ तुम्हारे दिल के करीब रहूंगा मैं।
हो सकता है की कभी अपने प्रेम को,
इज़हार ना कर पाऊँ तुमसे।
तो कहो, मेरे दिल की बात बिन कहे
समझ पाओगी क्या ?
वादा नही, पर मैं तुम्हे खुश रखने की,
हर कोशिश करूंगा।
तुम रूठोगी कभी मुझसे बेवजह,
मैं मनाने की कोशिश करूंगा।
पर हो सकता है कभी मैं तुमसे,
बेवजह रूठ जाऊं किसी बात पे।
तो मुझे बाहों में भरके मेरे गुस्से को
प्यार में बदल पाओगी क्या ?
हो सकता है मेरे पास दौलत ना हो,
मेरे कंधे पे सिर रखकर सोना होगा।
मैं रोऊंगा कभी हालात पे अपने,
तो तुम्हे संग मेरे रोना होगा।
जब आंसुओ की आखिरी बून्द
मेरे गालो पे सुख जाएगी।
मेरे माथे को चूमकर तुम,
मेरे बालों को सहलाओगी क्या ?
मैं जब तन्हा चल रहा होऊंगा धूप में,
कहो संग मेरे चल पाओगी क्या ?
मेरा गुजरना होगा कांटो की राह से,
मेरा दर्द बांटकर सह पाओगी क्या ?
