वादा है उनसे
वादा है उनसे
लाखों गोलियाँ बरसी है जंग में,
न जाने कितने अपने साथी शहीद हुए ,
जीते तो है ये जंग दुश्मनों से
पर दिल में जाने कितने ज़ख्म हुए ,
अब हम खड़े तो है यहाँ
परिवार के साथ अपने ,
फिर भी खाली-खाली सा लगे
जब देखे अपने
कुछ साथियों को शहीद हुए,
आँखें नम ज़रूर हो
लेकिन दिल पत्थर हो गया है,
जो कभी सोचा न था
आज वह हो गया है,
क्यों करे हम ऐसी जंग
जहाँ खून की नदियाँ ही बहती हो?
क्यों करे हम भरोसा खुद पर
जब मुल्क की हिफाज़त में
अपने यारों की हिफाज़त ही न हो?
सलाम तो करते थे इन्हे तब
जब ज़िंदा थे,
और करते रहेंगे इन्हे आज भी,
इनकी क़ुर्बानियों से ही तो
जीते है हम दुश्मनों से,
इनकी क़ुर्बानियों से ही
बढ़ेंगे हमारे हौसले ,
आज अलविदा कहने में इन्हे
दिल रोता है
पर वादा है उनसे की उनके वक्फ
कभी हम आंच न आने देंगे।