ऊँची उड़ान
ऊँची उड़ान
आकाश हमारा, धरती हमारी
यह वतन हमारी शान है,
लड़ेंगे-जिएँगे वतन के लिए
यही हमारा अभिमान है...!
एक सूर्य है, एक चंद्र है
एकता में ही जीवन का मर्म है,
जाति-पाति की बेड़ियों को तोड़ दो
मानवता ही हमारा धर्म है...!
याद उन्हें भी करना, जिन्होंने देश के लिए
त्याग दिए हैं अपने प्राण,
कितने विश्वास से सौंप दिया हमें
देश की रक्षा का स्वाभिमान...!
यहाँ अपने-पराए का भेद नहीं
हर शख्स जय हिन्द गाता था,
अपनी भारत माता के लिए
हर सपूत खून बहाता था...!
कुर्बानी का साहस तो
उनके रग-रग में दौड़ता था,
माँ पर कोई आँच न आए
बस इसके लिए खून खौलता था...!
माँ ने भी उन्हें प्यार से
अपनी गोद में लिया हैं,
तिरंगे में लिपटी लाशों को
'अमर जवान' का खिताब दिया है...!
शहीदों के हर लहू की बूँद
उनके हर आँसू की कीमत जान लो तुम,
आज़ादी की इन घड़ियों में
उनके त्याग को पहचान लो तुम...!
गुलामी की बेड़ियों में बँधी
जैसे थी वो अँधेरी रात,
जान भी न्योछावर कर दी
हमें देने आज़ादी की सौगात...!
आज़ादी तो मिल ही गई है
अब हौसला बुलंद करना है,
आकाश में ऊँची उड़ान भर लो तुम
पर मिट्टी को नहीं भूलना हैं...!
आज़ादी का मतलब तो
आकाश में ऊँची उड़ान है,
देश के लिए मर-मिटना ही
सच्चे देशभक्त की पहचान है!
देश के लिए मर-मिटना ही
सच्चे देशभक्त की पहचान है...!
जय हिन्द!
