सीख लिया
सीख लिया
गीली आँखों में मुश्कराना सीख लिया
हमने भी ज़िंदगी को आज़माना सीख लिया
तुम थे तो हंसते थे हम हर बात पे अब मगर
अकेले हैं तो ख़ुद पे हँसाना सीख लिया
बड़ा ग़ुरूर था आसमाँ को अपनी ऊँचाई पे
कुछ परिंदे छोड़े, और आँख दिखाना सीख लिया
जहर सा भर गया था शहर की हवा से मुझमें
गाँव गया और फिर से जीना सीख लिया
ज़िंदगी बस यूँ ही रही नाराज़ हमसे हमेशा
हमने भी फिर मौत को बहलाना सीख लिया।
