STORYMIRROR

abhijit bhosale

Drama

3  

abhijit bhosale

Drama

पता नहीं

पता नहीं

1 min
194

पता नहीं किस खोज में हैं

आज कल के लोग ?

ना जीनेका सबर है ना

मरने का असर है।


ना उस मुट्ठी भर रेत का मज़ा है

ना उन लहरों का सुकून है।

ये कैसी प्यास है जो

चाहकर भी न बुझ पाये ?


ना उम्मीद की भूख है

ना शिद्दत की तड़प है।

ना उन ख़्वाबों का ख़्वाब है ना

उन पलों को पालने का वक़्त है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from abhijit bhosale

Similar hindi poem from Drama