देखो आ गया है सावन
देखो आ गया है सावन
खत्म हुई अब जैसे
घड़ियाँ इंतज़ार की,
बूढ़े किसानों की आंखों से
झलकी धारा प्यार की
पंख पसारे ऊँचे उड़ने लगे
पंछी किसी खोज में,
तिनका-तिनका लगे जमा
करने
देखो अपनी ही मौज में
कुछ चेहरे हैं खिल उठे
कुछ चेहरों पर है अंदेशा,
कुदरत का यह खेल पुराना
अब भेजा है कौन-सा संदेशा
आखिर गरज ही गए बादल
पुकारा हो धरती ने, जैसे
अंबर को,
नया साज पहन कर सजी
यह धरती संतुष्टि से भरी
तेजपूर्ण कोई मूर्ति हो
हवा के झोंके फूलों को,
कलियों को लगे लहराने,
जलधारी बादल ऐसे गरजे
बरसे सबकी प्यास मिटाने
चारों ओर संगीत में डूबी
पयोधरा अपनी धुन में,
मोतियों-सी सुंदरता बनी
रिमझिम बरसती हर एक
बूंद में
आज धरती का ठाठ,
इसकी शोभा है निराली,
छोटे-छोटे बीजांकुरों में
मोद भरा
हमारी धरती है महतारी
लहराती इस हवा का झोंका
अलबेला
पानी में लगा जैसे नावों
का मेला,
कागज़ की नैया और पानी
की लहरें
मुट्ठी में पकडूं मैं सारे पर
ये सुनहरे
रिमझिम धारा से सज गए
खेत-खलिहान और हर
एक मन,
हर एक बूंद में जीवन समाया
देखो आ गया है सावन
देखो आ गया है सावन...
