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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Drama

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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Drama

चार कदम

चार कदम

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सोचा था कोरे काग़ज़ पर 

कलम के साथ चार कदम चलूँगी।


न जाने कहाँ से ख्यालों के बादल छाने लगे

खट्टी मीठी यादों की हवाएँ बह चलीं।


इतने मे तेरी यादों की ऐसी बिजली कौंधी 

कि आँसुओं की बरसात होने लगी।


तेरे साथ बिताए एक एक पल में 

हम भीगे मन के साथ

सिर्फ तेरा नाम ही लिख सके।


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