होली रे होली..
होली रे होली..
फाल्गुन मास चढ़े जब साल
बसन्त ऋतु जब ले अंगड़ाई
खेत-खलियान हरे सब हों
समझो तुम होली आयी !
कोई गोबर की खेले होली
कोई रंग गुलाल लगाये
कोई के उपर पड़े जोर का फटका
कोई एक दूजे पर फूल बरसाये !
होली थी कौन यह जाने ना कोई
कथा समर्पित प्रेम पर
प्यार का त्यौहार जाने सोई !
रसिक छयल देवर भाभी सब
मधुर सम्बन्ध मुस्कान बिखेरे
हाँथ गुलाल कमर पर फेटा
लइ तेरेदइ तेरे !
निज गौरव का ध्यान रहे
खेलो तुम जी भर होली
ऐसा कांड मत करना
मिलन की जगह चले गोली !
पंडा खड़ा अबीर लिए
डंडा (कलम) उसके हाथ
मिलना चाहे यश तुझसे
मिले मगर जब साथ !