Saini Nileshkumar
Drama
जा करले इज़हार
हाले दिल पर यूँ बेहाल ना करना
कल शायद सामने ना हो तो
फिर शिकायत ना करना
दिल की बात दिल मैं
रखके फिर रोया ना करना
अगर इनकार करे तो
फिर प्यार ना करना
पर एक बार हाले
दिल इज़हार करना।
रिश्ते
स्वार्थ
इश्क़ मे ना ते...
ए ज़िन्दगी यूँ...
रख के हिम्मत
अजनबी सी सुबह
मन पापी
काया
दौर ए ज़िन्दगी
मन
रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ रह रह कर आईने में बूंदों की जगह झलक जाता है माँ
लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...। लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...।
बादलों की तरह कल फिर आओगे शायद इस गलतफहमी में थे बादलों की तरह कल फिर आओगे शायद इस गलतफहमी में थे
मौज बनाते, होती, बचपन की सुंदर कितनी याद। मौज बनाते, होती, बचपन की सुंदर कितनी याद।
उस लम्हे में मैंने देखा है मौत को... बहुत करीब से जिया है उन लम्हों को तिल तिल कर के उस लम्हे में मैंने देखा है मौत को... बहुत करीब से जिया है उन लम्हों को ...
पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि मेरी दिल की राह पर अब तू है। पर तू क्यों नहीं समझ रहा कि मेरी दिल की राह पर अब तू है।
चंडी बनो, काली बनो या फिर ज्वाला सब कुछ बदल कर रख दो। चंडी बनो, काली बनो या फिर ज्वाला सब कुछ बदल कर रख दो।
चलना-जाना अकेले हर पल, जग मेला निर्जन, बंजर, हर भाव से खाली है चलना-जाना अकेले हर पल, जग मेला निर्जन, बंजर, हर भाव से खाली है
उस शाम चाय की प्याली थामे मैंने एक गीत सुना, व्याकुल मन उस धुन को सुनकर थिरक उठा, उस शाम चाय की प्याली थामे मैंने एक गीत सुना, व्याकुल मन उस धुन को सुनकर थिरक ...
अंदर और बाहर एक जैसे ही चेहरे है, हमारे पर इंसानी फ़ितरतों से गर्दिश में है, अंदर और बाहर एक जैसे ही चेहरे है, हमारे पर इंसानी फ़ितरतों से गर्दिश में है,
इतनी बार मिले हैं हम-तुम कि मुलाक़ातें सब याद नहीं की हैं इतनी बातें हमने कि उनका इतनी बार मिले हैं हम-तुम कि मुलाक़ातें सब याद नहीं की हैं इतनी बातें हमने...
रंग बदलती दुनिया देखकर, गिरगिट भी नाराज है। रंग बदलती दुनिया देखकर, गिरगिट भी नाराज है।
तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना l तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना l
न अग्नि की तपन ये है न वायु का ये वेग है न अग्नि की तपन ये है न वायु का ये वेग है
जिन्हें शब्दों-वर्तनी-प्रोत्साहन से रचना-सार ने सींचा हो। जिन्हें शब्दों-वर्तनी-प्रोत्साहन से रचना-सार ने सींचा हो।
अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो अतृप्त इच्छाओं का पागल बवंडर समझा है जिसे तुमने पास आकर देखो
ख्वाब देखना भी हिम्मत वालों का शौक है वह जो परछाइयों पीछा करके खुश है। ख्वाब देखना भी हिम्मत वालों का शौक है वह जो परछाइयों पीछा करके खुश है।
पीपल की एक एक शाख सा हर घर रहा इसी आस पर पीपल की एक एक शाख सा हर घर रहा इसी आस पर
एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है ! एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है !
देखो ना फिर एक दूजे से बेशुमार प्यार करने लगे हम। देखो ना फिर एक दूजे से बेशुमार प्यार करने लगे हम।