ए ज़िन्दगी यूँ तो वजह बोहोत है
ए ज़िन्दगी यूँ तो वजह बोहोत है
ऐ ज़िन्दगी यूँ तो वजह बहुत है तुझ से रूठने की
पर एक उम्मीद फिर भी है तुझे जीने की
माना तू कुछ हिस्सों में बट जाती है
बचपन , जवानी, बुढ़ापे के किस्सों में कट जाती है
रोना -हँसना, चीखना चिल्लाना, रूठना-मनाना
ऐसे तू कुछ पलो में कैद हो जाती है
प्यार- नफरत, सुख -दुःख,
ऐसे बहुत से मौसम से भरी है
रिश्ते और परिवार जैसे
त्यौहार से मनायी जाती है
कभी अश्कों में बिखरी होती है
तो कभी कुछ सक्षों से निखरी होती है
यूँ तो वजह बहुत है तुझ से रूठने की
पर उम्मीद फिर भी है तुझे जीने की।