दौर ए ज़िन्दगी
दौर ए ज़िन्दगी
दौर ए जिंदगी,
डोर ये बंदगी,
कुछ ना हो सका अपना,
खाली हाथ पड़ा चिता पे देह,
लगा रोग देखन -देखी का,
फिर की कोशिश हज़ार पाने की ,
सब मन भायो मिला,
फिर भी संतुष्ट ना हुआ मन,
कियो कर्म बिना धर्म,
अंतिम देखी सांसे जब,
देखा सत्य मृत्यु का,
सूज हुए पर देर हुए,
दौर ए ज़िन्दगी अब दूर हुए.