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Saini Nileshkumar

Abstract Others

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Saini Nileshkumar

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दौर ए ज़िन्दगी

दौर ए ज़िन्दगी

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दौर ए जिंदगी,

डोर ये बंदगी,

कुछ ना हो सका अपना,

खाली हाथ पड़ा चिता पे देह,

लगा रोग देखन -देखी का,  

फिर की कोशिश हज़ार पाने की , 

सब मन भायो मिला,

फिर भी संतुष्ट ना हुआ मन,

कियो कर्म बिना धर्म,

अंतिम देखी सांसे जब,

देखा सत्य मृत्यु का,

सूज हुए पर देर हुए,

दौर ए ज़िन्दगी अब दूर हुए.



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