STORYMIRROR

Saini Nileshkumar

Inspirational Others

3  

Saini Nileshkumar

Inspirational Others

स्वार्थ

स्वार्थ

1 min
149

बिना स्वार्थ कोई ना साथ होवे ,

हम हम में अहम ही आगे होवे रे,

डूबे धर्म में फिर भी,

शुद्ध धर्म छोड़ मूर्ति धर्म ही चर्चित होवे रे,

अच्छा दिखावे हज़ारों के सामने मानवी,

फिर भी शत्रु बारे में दुर्भाव होवे रे,

जाने सब है ये अंतरमन,

फिर भी मन अंधकार में होवे रे,

समझे जो कोई तो पावे ,

मेरा मुझसे से बड़ा कोई शत्रु ना होवे!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational