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Surya Prakash Shukla

Drama

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Surya Prakash Shukla

Drama

ममता की मूरत माँ

ममता की मूरत माँ

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" ममता कि मूरत है माँ

सबसे करती प्रेम समान

नही छोड़ती साथ हमारा

धूप हो या छाँव

ममता कि मूरत है माँ


रुखी सुखी रोटी खाकर

खुद सो जाया करती है

पर बच्चो को अपने भुखे

सोने नहीं देती है


गंगा जैसी निर्मल है माँ

जिसके आंचल मे है शीतल छाँव

ममता कि मूरत है माँ


रात होते ही एक कहानी सुना जती है

चान्द को भी हमारे करीब ले आती है


हूँ मैं सबसे अछा इस बात का

अहसास कराती है

दूर उनसे होने पर आँखें भर आती है

क्या कहूँ कैसी है माँ

ममता की मूरत है माँ।


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