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Surya Prakash Shukla

Others

2.3  

Surya Prakash Shukla

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माँ बेटी का प्यार

माँ बेटी का प्यार

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ये निगाहें कर रही है कब से इन्तजार

प्यारी बिटिया कब आये अपने द्वार

बाहें फैलाये अरमा जगाये पलके बिछाये

कब से बैठ दरवाजे पर कर रही है इन्तजार

प्यारी बिटिया कब आये अपने द्वार


याद आती है बिटिया की हर वो बात

कैसे छिप जाती थी जब भी खाती थी डाट

आँचल मे छिप जाना,सरारते करना,हंसना हसाना

दुल्हन की तरह सजना ,परियों की तरह लगना

गुड्डे के संग झूमते सारी रात आये हमे हर पल वो याद

मेरि बिटियाँ कब आये अपने द्वार


बिटिया की दास्ताँ


कहती रहती है माँ मुझसे

आ जल्द आजा तु झट से

हुये तुझको देखे न जाने कितने दिन

और इन्तजार न होगा अब एक भी दिन

सुन ले तु जरा अब इस पल

वर्ना नम हो जायेंगी आँखे इस पल


माँ नम न कर आँखे अब तु

मै जल्द आऊँगी न रो अब तु

है मेरी प्यारी माँ जो तु

सबसे प्यारी दुलारी है तु

तेरी बिटिया हूँ मै रहू चाहे जितनी भी दूर

मत कर इन्तजार तु अब इतना

तेरे द्वार पे आऊँगी बस कहना है इतना



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