Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Satyendra Gupta

Abstract

4.2  

Satyendra Gupta

Abstract

उठो ना मां, उठो ना पापा

उठो ना मां, उठो ना पापा

1 min
255


मां, पापा, पापा, मां

क्यू सोए हो आपलोग

उठो ना, उठो ना, उठो ना मां, उठो ना पापा

क्यूँ आप लोग है सोए हुए

अच्छा लग रहा है मुझे रोते हुए।


ये उजला कपड़ा क्यों ओढ़े हुए हो

चुपचाप क्यूँ पड़े हुए हो

उठो ना मां पापा

कुछ तो बोलो

चुपचाप क्यू सोए हुए हो

उठो ना मां, उठो ना पापा।


देखो, देखो अब मैं बदमाशी नही करूंगा

अब रोज स्कूल भी जाऊंगा

अपलोगो को तंग भी नही करूंगा

मिठाई और खिलोने के लिए नही बोलूंगा

बाहर में खेलने भी नही जाऊंगा

अपलोगो की हरेक बात मानूंगा

बस उठ जाओ मां और पापा

उठो ना मां, उठो ना पापा।


ये लोग बोल रहे है आप कही चले गए है

ये लोग बोल रहे है आप गहरी नींद में सो गए है

जाग जाओ पापा जाग जाओ ना मां

नहीं जागोगे तो मुझे दूध गर्म कौन पिलाएगा

नहीं जागोगे तो मुझे खाना कौन खिलाएगा

कौन रखेगा मेरा ध्यान

नहीं जागोगे तो मुझे पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी कौन बनाएगा

उठो ना पापा, उठो ना मां, उठो ना उठो ना उठो ना।


अरे मेरे मम्मी पापा को कहां ले जा रहे हो

मेरे मामी पापा को क्यू उठा रहे हो

ये सोए हुए है जगाना है मुझे अभी

क्यूँ नहीं सुन रहे हो आप सभी

मत लेकर जाओ मां पापा को कही

जाग जाओ ना पापा, जाग जाओ ना मां

जाग जाओ ना पापा जाग जाओ ना मां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract