तबाही
तबाही
नाहक मारे जाते हैं बेजुबान इंसान दंगों में
सियासत का बड़ा गहरा रिश्ता है तबाही से
बारूदों में दफन है कहीं हजार गुना लाशें
तानाशाही की रिश्तेदारी है कुचलाही से
कौन किसकी खातिर तबाह होता है दोस्त
रुखसत होता है हर कोई अपनी ही बीमारी से
जानलेवा है हुस्न तेरा किस अदा से देखना ख्वाब
लौट आया हूँ मैं तेरी चौखट की पहरेदारी से
मिन्नतों की गिनती छोड़ चुके हम एक अरसे से
दलीलें तेरी मगर खत्म होती नहीं बेशुमारी से
अलहदा वह टकराया बाजार में हमसे बस यूँ ही
दीवारें हिलने लगी 'नालन्दा' घर की भूचाली से