वक्त
वक्त
वक्त भी अब रफ्तार बदलने लगा
मेरे सपनों का घोंसला अब
जैसे मंथन करने लगा
एक अरसा हुआ खुद से बातें
किये हुए, क्योंकि ठोकरे भी कम नहीं
खुद को संभालने के लिए
चितवन बन उड़ा जा रहा है
वक्त हमारा…….
अब जैसे एहसास ही नहीं कि भोर का
तारा रोशनी लिए खड़ा कर रहा है
स्वागत हमारा…...
यह अब जाकर समझ में आया
यह तो वक्त का पहिया है! साहब
ऐसे ही चलता जाऐगा
संभलना तो हमें है
वक्त तो यूं ही निकलता जाएगा।