जिंदगी
जिंदगी
ए जिंदगी इक सवाल है तुझसे
आखिर क्यों परेशान हैं सब मुझसे
क्या मैं औरों की तरह इंसान नहीं
या दिल में मेरे कोई अरमान नहीं?
औरों की ही तरह मैं भी निकला हूं
खुशियों की तलाश में
एक सुखद कल की आस में
फिर क्यों नाराज हैं सब मुझसे
ए जिंदगी ये ही सवाल है तुझसे।
औरों की ही तरह मैं भी चाहता हूं
पूरे करना अपने सब अरमान
भरना चाहता हूं उन्मुक्त उड़ान
बुलंदियों के आसमान में
अपनी मंजिल की तलाश में
फिर क्यों है सब परेशान
क्यों करते हैं मुझसे गैरों सा व्यवहार
क्या मैं इस धरा का इंसान नहीं
या सपने देखने का मुझे अधिकार नही
ए जिंदगी अब तू ही जवाब दे
मुझे भी जीने का अधिकार दे।