होली की ठिठोली
होली की ठिठोली
घोट रहे हैं भंग लिए छोरन की टोली।
खूब मचे हुड़दंग की भइया आई होली।।
नाचत, गावत मस्ती में काका का देखें।
फगुआ चढ़ा बुढ़ापा मा ई काकी बोली।।
बोलें काका हंसके कहाँ उमर कै चिंता।
फगुआ में तो होबै करीहे हंसी- ठिठोली।।
रंग भरी पिचकारी काका अइसन मारे।
काकी कहें भिगोये बुढ़वा हमरी चोली।।
पी ठंडाई "साहिल" संग काका के नाचे।
चारो तरफ है बाजत फिरत नगाड़ा-ढोली।।