अभी तो ढूंढ रहा हूँ मैं खुद को हर्फ़ों में। जो मिल गया तो इबारत में दिख भी जाऊँगा।।
हाय गालों पे गुलाबी ये निशाँ किसका है। और पलकों पे तिरी ख़ाब जवाँ किसका है।। हाय गालों पे गुलाबी ये निशाँ किसका है। और पलकों पे तिरी ख़ाब जवाँ किसका है।।
मैं सृजन संवेदना हूँ मैं करुण का त्रास हूँ। या कहूँ कि हो रहे दुर्बल का मैं उपहास हूँ। मैं सृजन संवेदना हूँ मैं करुण का त्रास हूँ। या कहूँ कि हो रहे दुर्बल का मैं उ...
घोट रहे हैं भंग लिए छोरन की टोली। खूब मचे हुड़दंग की भइया आई होली।। घोट रहे हैं भंग लिए छोरन की टोली। खूब मचे हुड़दंग की भइया आई होली।।