किसका है
किसका है
हाय गालों पे गुलाबी ये निशाँ किसका है।
और पलकों पे तिरी ख़ाब जवाँ किसका है।।
रोक लेता है जिसे बारहा कहते-कहते।
सुर्ख होठों पे तेरे नाम निहाँ किसका है।।
सारे रिश्तों की ही बुनियाद टिकी दौलत पर।
दौर-ए-हाज़िर में भला कौन कहाँ किसका है।।
जिसके दर से न कभी भी कोई खाली लौटा।
दरमियाँ महलों के छप्पर का मकाँ किसका है।।
फैसला जिसने बदलवा दिया है मुंसिफ का।
वो गवाही भला किसकी है बयाँ किसका है।।;
जिसको देखा है अभी मैने खड़े साहिल से।
बीच मझधार में उठता वो धुआँ किसका है।

